स्कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि प्रदेश में बच्चों और युवाओं में कौशल विकास करके ही रोजगार के अवसर बढ़ाये जा सकते है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस बिन्दु को लेकर विशेष प्रावधान रखे गये है। मंत्री श्री सिंह आज मध्यप्रदेश राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
मंत्री श्री सिंह ने कहा कि ग्रामीणों क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कौशल केन्द्र बनाकर विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। उन्होंने ड्राप आउट की संख्या घटाकर बच्चों को स्कूल शिक्षा से पुन: जोड़ने की बात भी कहीं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड की विभिन्न शाखाओं में पहुँचकर निरीक्षण किया और कार्य प्रणाली को समझा।
बैठक में बोर्ड के संचालक श्री प्रभातराज तिवारी ने बताया कि बोर्ड की रूक जाना नहीं योजना से बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को फायदा मिला है। प्रदेश में करीब 5 लाख बच्चों ने कक्षा 10 और कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा इस योजना से जुड़कर उत्तीर्ण की है और आगे की पढ़ाई जारी रखी है। बैठक में बोर्ड की अन्य “आ लौट चलें’’ योजना की भी समीक्षा की गई। इस योजना का लाभ 2 हजार विद्यार्थियों ने उठाया है। संचालक श्री तिवारी ने बताया है कि ओपन स्कूल बोर्ड ने 52 जिलों में एक शासकीय विद्यालय को गुणवत्ता सुधार के लिये गोद लिया है। इन स्कूलों में बोर्ड द्वारा अधोसंरचना के कार्यों के साथ शिक्षण व्यवस्था में व्यापक सुधार किया गया है। प्रत्येक विद्यालय में कम्प्यूटर लैब भी शुरू की गई है।
बैठक में बताया गया कि बोर्ड राज्य के मॉडल स्कूल और उत्कृष्ठ विद्यालयों में प्रवेश परीक्षा, सुपर 100 की प्रवेश परीक्षा के साथ श्रमोदय विद्यालय, सीएम राईज स्कूल प्रवेश की परीक्षा भी आयोजित करता है। गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के कारण बोर्ड को अटल विहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान से प्रथम पुरस्कार भी मिला है। बैठक में बताया गया कि बोर्ड "सबके लिये शिक्षा" के मिशन के साथ कार्य कर रहा है। भोपाल, आगर, शुजालपुर, छतरपुर, मुरैना, इंदौर, सीहोर, दतिया, दमोह, देवास और बालाघाट में एक ही परिसर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।
ग्लोबल ब्रांडिंग
सबसे लिये शिक्षा विद्यालय योजना में बच्चों को मार्कशीट एवं प्रमाण-पत्र संयुक्त राज्य अमेरिका की एजेंसी NWAC के संयुक्त ब्रांड से जारी किये जाने की व्यवस्था की गई है, जो दुनिया के 42 देशों में मान्य होगी। इससे बच्चों को विदेशों में रोजगार प्राप्त करने में सुविधा हो रही है।
बैठक के दौरान स्कूल शिक्षा मंत्री ने विभिन्न केन्द्रों के संचालकों से वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये संवाद किया।