तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को सरकारी बंगला फौरन खाली करने का नोटिस मिला है। डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स ने मंगलवार (16 जनवरी) को उन्हें ये नोटिस भेजा। कैश फॉर क्वेरी केस में 8 दिसंबर 2023 को महुआ की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इसके बाद उन्हें दो बार बंगला खाली करने के लिए कहा जा चुका है।
यूनियन हाउसिंग एंड अफेयर्स मिनिस्ट्री के एक सूत्र ने बताया कि महुआ को तुरंत बंगला खाली करने के लिए कहा गया है। जल्द ही डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स के अधिकारी उनके बंगले पर जाएंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि बंगला जल्द से जल्द खाली हो जाए।
दो बार बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया
महुआ को सबसे पहले इस साल 7 जनवरी तक बंगला खाली करने को कहा गया था। 8 जनवरी को डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स ने एक नोटिस जारी करके उनसे पूछा कि उन्होंने अब तक बंगला खाली क्यों नहीं किया है। इसके बाद उन्हें 12 जनवरी को दूसरा नोटिस भेजा गया।
कैश फॉर क्वेरी केस में गई थी महुआ की सांसदी
BJP सांसद निशिकांत दुबे ने मुहआ पर आरोप लगाया था कि उन्होंने लोकसभा में पैसे लेकर सवाल पूछे हैं। निशिकांत ने इसकी शिकायत लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से की थी। मामले की जांच के लिए एथिक्स कमेटी बनाई गई थी। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में महुआ को दोषी माना गया था, जिसके बाद महुआ के निष्कासन का प्रस्ताव 8 दिसंबर 2023 को लोकसभा में पेश हुआ था।
महुआ के निष्कासन पर लोकसभा में पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई थी। आखिर में प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, जिसमें विपक्ष वॉकआउट किया था। वोटिंग में महुआ को लोकसभा से निष्कासित करने प्रस्ताव पास हो गया। महुआ ने लोकसभा से निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
निष्कासन के बाद क्या बोली थी महुआ ?
महुआ मोइत्रा ने निशिकांत दुबे पर किया था मानहानि केस
निशिकांत दुबे के आरोपों के खिलाफ महुआ मोइत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में मानहानि का केस किया था। महुआ ने आरोप लगाया था कि निशिकांत दुबे और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत दहाद्राई कैश फॉर क्वेरी केस के जरिए उनकी छवि धूमिल की है। महुआ ने मीडिया चैनलों के खिलाफ भी आरोप लगाए थे, लेकिन बाद में निशिकांत दुबे और देहाद्राई के खिलाफ ही केस चलाने की मांग रखी, जिसे कोर्ट ने मान लिया था। हाई कोर्ट में यह मामला फिलहाल लंबित है।