अहमदाबाद: वर्ल्ड कप फाइनल को तीन दिन हो गए हैं। भारतीय क्रिकेट भी टीम अब एक नई यात्रा पर निकल चुकी है। शहर में ऊपर से सब कुछ सहज लगता है। लोग अपनी पुरानी दिनचर्या में लगे नजर आते हैं। मगर यह कहा नहीं जा सकता कि भारतीय फैंस 19 नवंबर को भुला चुके हैं। यहां, वहां कई लोग अपने-अपने ढंग से फाइनल का विश्लेषण करते मिल जाते हैं।
एक ठिकाने पर पहुंचने के लिए ऑटो रिक्शा को हाथ दिया तो चालक ने गुजराती में कुछ कहा। मेरे हाव-भाव से उन्हें समझ आ गया कि मुझे बात समझ में नहीं आई। फिर 'कहां जाना है' इस बारे में हिंदी में बातचीत हुई। थोड़ी दूर जाने के बाद चालक ने बैक मिरर को एडजस्ट करते हुए मुझे देखा और सवाल दागा, 'आप बाहर से हैं? यहां मैच देखने आए थे?'
मेरे हामी भरने के बाद उन्होंने बहुत रुआंसे स्वर में धाराप्रवाह कहा, 'दिल टूट गया, अभी तक दिल रो रहा है। अब क्या बताऊं, इस बार तो बिल्कुल तय लग रहा था कि कप भारत का ही है। अभी तक अच्छा नहीं लग रहा है। यह कप तो भारत को जीतना ही चाहिए था।' मैं चुपचाप सुनता रहा। फिर चालक ने एक सवाल दागा, 'आपको क्या लगता है, हार की वजह क्या रही?' बदले में मैंने उनसे ही पूछ लिया, 'आप ही बताएं भारत क्यों हारा? '
'देखिए मुझे जो समझ है उस हिसाब से मैं पैट कमिंस की बोलिंग, उनकी फील्ड की सजावट के अलावा मोहम्मद शमी का इस्तेमाल गलत तरीके से करने को भारत की हार की वजह मानता हूं।' अच्छा! ऐसा क्यों? 'देखिए, कमिंस ने जिस तरह से गेंदों का मिश्रण किया वह लाजवाब था। उन्होंने इतनी टाइट लेंथ डाली की विराट को भी शॉट खेलने में मुश्किल हो रही थी। उन्होंने श्रेयस को टिकने नहीं दिया और विराट को भी 50 के बाद रुकने नहीं दिया। अपने बाकी बोलर्स का भी उन्होंने बखूबी इस्तेमाल किया।' तो शमी को लेकर क्या गलती हुई?
'शमी फर्स्ट चेंज बोलर के तौर पर कमाल कर रहे थे। फाइनल में उन्हें शुरू में ही गेंद थमा दी गई। एक विकेट जरूर मिला, लेकिन मुझे पता है कि वह पुरानी गेंद से ज्यादा बेहतर कर रहे थे। पहले ही गेंद थमाना और लगातार पांच ओवर्स कराना ठीक फैसला नहीं था।' इतने उम्दा विश्लेषण के बाद यह कहना बनता था कि खेल की आपकी समझ काफी गहरी और अच्छी है। शुक्रिया के साथ उधर से मिली जानकारी कहीं ज्यादा चौंकाने वाली थी। ऑटो चालक ने बेहद अदब के साथ बताया, 'जी, मैं भी क्रिकेट खेल चुका हूं। मैंने लोकल क्रिकेट में 22 सेंचुरी बनाई हुई है।'
क्या नाम है आपका? 'अकबर रमजानी भाई बिसलपुरवाला।' अकबर भाई के क्रिकेट-ज्ञान का मैं कायल हो गया। उन्होंने आगे बताया कि वह 45 साल के हैं और छह साल पहले तक स्थानीय क्लबों के लिए यहां वहां खेलते रहते थे। टी20 क्रिकेट में 55 गेंद पर शतक बना चुके हैं। बहुत तमन्ना थी कि क्रिकेट में कुछ करें लेकिन घर की आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं दे रही थी। अकबर भाई आज भी भारत का कोई मैच देखना नहीं छोड़ते। मैच के पहले तक अपना काम निपटाकर टीवी के सामने बैठ जाते हैं। फाइनल वाले दिन भी वह अपना धंधा बंद करके टीवी के सामने भारत की खिताबी जीत की आस लिए 2 बजे से बैठ गए थे।