इजरायल-हमास युद्ध में भारत और चीन की कूटनीति का शक्ति परीक्षण, मध्य पूर्व में कौन मारेगा बाजी

Updated on 23-11-2023 02:41 PM
हॉन्ग कॉन्ग: इजरायल हमास युद्ध के बीच भारत और चीन में एक अलग ही प्रतिस्पर्धा जारी है। दोनों देश वैश्विक मंच पर अधिक प्रभाव दिखाने की होड़ में हैं। इस कारण भारत और चीन इजरायल हमास युद्ध के बीच कूटनीति का शक्ति परीक्षण कर रहे हैं। दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले इन देशों ने इजरायल और फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस संघर्ष में खुद को तटस्थ दिखने का प्रयास किया है। दोनों देशों की चिंताएं भी व्यापक हैं। चीन को लगता है कि वह अमेरिका और उसके सहयोगियों के निशाने पर है। ऐसे में वह पश्चिम के बाहर के देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। चीन अपनी राजनयिक उपस्थिति को भी बढ़ा रहा है, विशेष रूप से मध्य पूर्व में जहां वह अपने निवेश की रक्षा के लिए स्थिरता चाहता है। वहीं, भारत खुद को एकजुट ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है जो अमेरिका और चीन के बीच किसी एक का चयन नहीं करेगा।


इजरायल-फिलिस्तीन पर भारत-चीन में क्या कॉमन

दोनों देशों के 1992 से इजरायल के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध हैं। दोनों ने 1988 में घोषणा के बाद फिलिस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता दी है। दोनों देश इजरायल-फिलिस्ती संघर्ष के दो-राज्य समाधान के महत्व पर भी जोर देते हैं। लेकिन वर्तमान संघर्ष के प्रति उनकी प्रतिक्रिया में मतभेद हो गए हैं। चीन का झुकाव फिलिस्तीनियों की ओर है और भारत का झुकाव इजरायल की ओर है, जो कि दोनों देशों के लिए कुछ हद तक विदेश नीति में बदलाव है। यह झुकाव इस बात से प्रदर्शित होता है कि दोनों देशों में सोशल मीडिया पर इजरायल-हमास युद्ध को लेकर क्या कहा जा रहा है और इसमें बहुमत किस ओर है।

फिलिस्तीन पर मुस्लिम देशों को साध रहा चीन


चीन ने सोमवार को इजरायल हमास युद्ध को लेकर अरब और मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। ये सभी देश इजरायल और फिलिस्तीन में शत्रुता को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी पांच स्थायी सदस्यों का दौरा कर रहे हैं। सऊदी अरब, मिस्र, जॉर्डन, इंडोनेशिया, फिलिस्तीनी प्राधिकरण से मिलकर बने इस्लामी सहयोग संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाल प्रतिनिधिमंडल ने तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया है। इस संगठन में दुनिया के 57 मुस्लिम देश शामिल हैं।

चीन ने इजरायल की निंदा की


इस बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि बीजिंग अरब और इस्लामी देशों के साथ अच्छी दोस्ती और भाईचारा रखता है। उन्होंने कहा कि चीन फिलिस्तीनी लोगों के वैध राष्ट्रीय अधिकारों और हितों को बहाल करने के उचित कारण का हमेशा दृढ़ता से समर्थन किया है। नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों की निंदा करते हुए, चीन ने इजरायल पर 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमले पर हमास की स्पष्ट रूप से निंदा करने से परहेज किया है और सोमवार को गाजा पट्टी में इजरायल के जवाबी हमलों को सामूहिक सजा के रूप में वर्णित किया है। इजरायली अधिकारियों ने चीन की स्थिति पर गहरी निराशा व्यक्त की है।

कम्युनिस्ट चीन में यहूदी विरोधी भावना बढ़ी


नीदरलैंड में ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर बिल फिगुएरोआ ने कहा कि हालांकि, चीन के इजरायल के साथ अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन चीन के ऐतिहासिक अनुभवों के कारण इजरायल के साथ अपनी पहचान बनाने की संभावना कम हो सकती है। उन्होंने कहा, "वे स्थिति को उसी नजरिए से देखते हैं जैसे क्षेत्र के कई लोग देखते हैं और उनकी सहानुभूति वास्तव में फिलिस्तीनियों के साथ है।" चीन की फिलिस्तीन के प्रति सहानुभूति वहां की सोशल मीडिया पर भी दिखाई द रही है। इजरायल हमास संघर्ष शुरू होने के बाद चीनी सोशल मीडिया में यहूदी विरोधी कमेंट्स कई गुना बढ़ गए हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन में बड़ी संख्या में इस्लामोफोबिक पोस्ट भी हुए हैं।

भारत: इजरायल के साथ बढ़ती नजदीकी


युद्ध के पहले कुछ दिनों में, भारत ने इजरायल के लिए समर्थन व्यक्त करने में तो तत्परता दिखाई, लेकिन फिलिस्तीनियों के बारे में बहुत कम कहा। हमास के हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर कहा, "हम इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।" हालांकि भारत का फिलिस्तीनी अधिकारों का समर्थन करने का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत के इजरायल के साथ इसके संबंध मजबूत हो गए हैं। 2017 में, वह इजरायल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ उनके संबंधों को अक्सर "ब्रोमांस" के रूप में वर्णित किया गया है।

भारत-इजरायल मजबूत सहयोगी


दोनों देशों ने आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर घनिष्ठ सहयोग किया है और भारत इजरायल का शीर्ष हथियार खरीदार भी है। उनका सहयोग विशेष रूप से 2008 के बाद बढ़ गया, जब पड़ोसी देश पाकिस्तान के आतंकवादियों ने समन्वित तरीके से मुंबई में आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया था। इस हमले में 175 लोग मारे गए, जिनमें एक इजरायली अमेरिकी रब्बी और उसकी पत्नी भी शामिल थे, जो एक यहूदी केंद्र की घेराबंदी में मारे गए थे। भारत और इजरायल इंटेलीजेंस शेयरिंग का भी काम साथ करते हैं। इसके अलावा दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों और कमांडो ट्रेनिंग भी काफी बड़े स्तर पर होती है।

इस्लामिक आतंकवाद से परेशान दोनों देश


भारत और इजरायल दोनों ही इस्लामिक आतंकवाद से प्रभावित हैं। इसके अलावा दोनों देश दुश्मनों से घिरे हुए हैं। इजरायल को जहां अपने चारों ओर बसे पड़ोसी देशों से खतरा है। वहीं भारत को भी चीन और पाकिस्तान से हमेशा खतरा रहता है। इन दोनों देशों के साथ भारत युद्ध भी लड़ चुका है। ऐसे में इजरायल को भारत में एक शीर्ष सहयोगी नजर आता है। दूसरी तरफ खेती की तकनीक के साझाकरण, आईटी में सहयोग दोनों देशों के संबंधों को और ज्यादा मजबूत कर रहा है।


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