मुंबई में स्थित एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में लोगों को अब मिनिमम 350 स्क्वायर फीट के फ्लैट मिलेंगे। महाराष्ट्र सरकार और अडाणी ग्रुप के जॉइंट वेंचर में बन रहे इन फ्लैट के साइज को करीब 17% बढ़ाया जाएगा।
धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (DRPPL) के तहत बनने वाले इन फ्लैट्स में इंडिपेंडेंट किचन और बाथरूम भी होगा। इस बात की जानकारी अडाणी ग्रुप ने दी है। पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी स्लम रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए अडाणी ग्रुप की बोली को मंजूरी दी थी।
अडाणी ग्रुप ने ₹5,069 करोड़ की बोली लगाई थी
29 नवंबर 2022 को अडाणी ग्रुप की कंपनी 'अडाणी प्रॉपर्टीज' ने स्लम को रीडेवलप करने के प्रोजेक्ट की बोली जीती थी। कंपनी ने इसके लिए 5,069 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। अडाणी ग्रुप के अलावा बोली लगाने वालों में दूसरे नंबर पर DLF ग्रुप रहा था, जिसने 2,025 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी।
अलग-अलग फेस में रीडेवलप होगा स्लम एरिया
धारावी के स्लम एरिया को अलग-अलग फेस में रीडेवलप किया जाना है। सबसे पहले वहां रहने वाले लोगों को शिविरों में भेजा जाएगा। इसके बाद वहां पर नए घरों को बनाया जाएगा।
1 जनवरी 2000 से पहले के लोगों को फ्री में मकान
धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 23 हजार करोड़ का है। प्रोजेक्ट के तहत, जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं, उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा। जबकि, जो लोग 2000 से 2011 के बीच आकर यहां बसे हैं, उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी होगी।
प्रोजेक्ट को पहली बार 1999 में प्रस्तावित किया
1999 में भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के रीडेवलपमेंट का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद 2003-04 में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को एक इंटीग्रेटेड प्लान्ड टाउनशिप के रूप में रीडेवलप करने का निर्णय लिया और इसके लिए एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई और टेंडर निकाले गए।
2011 में सरकार ने सभी टेंडर को कैसिंल कर दिया और एक मास्टर प्लान तैयार किया था। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने अक्टूबर 2022 में नए टेंडर जारी किए। इससे पहले इस प्रोजेक्ट के लिए लगी बोली को उद्धव ठाकरे सरकार ने साल 2019 में कैंसिल कर दिया था।
फिल्मों से बढ़ी धारावी की लोकप्रियता, टूरिस्ट भी आते हैं
साल 2008 में 'स्लमडॉग मिलियनेयर' फिल्म के रिलीज होने के बाद इस क्षेत्र को लोकप्रियता मिली। फिल्म ने कई अवॉर्ड भी जीते। इसके बाद फिल्म गली बॉय में ये देखने को मिली थी। कई टूरिस्ट यहां भारत की बस्ती में रहने वालों के जीवन की झलक देखने आते हैं।
1882 में अंग्रेजों ने लोगों को बसाया था
इस इलाके को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था। मजदूरों को किफायती ठिकाना देने के मकसद से इसे बसाया गया था। धीरे-धीरे यहां लोग बढ़ने लगे और झुग्गी-बस्तियां बन गईं। यहां की जमीन सरकारी है, लेकिन लोगों ने झुग्गी-बस्ती बना ली है।