कासरगोड से मारवंते समुद्र तट तक फैले तुलुनाडु से कंबाला दौड़ को बेंगलुरु लाया गया है। यह तटीय कर्नाटक की संस्कृति, व्यंजन और विरासत को दर्शाता है।
बेंगलुरु में होने वाली कंबाला दौड़ के लिए भैंसों के 139 जोड़े कर्नाटक के तटीय क्षेत्र से बेंगलुरु लाए गए हैं।
कंबाला दौड़ में 228 से अधिक भैसों की जोड़ियां हिस्सा लेंगी। इस आयोजन के लिए तुलुनाडु से पंद्रह जोड़ी भैंसें विशेष रूप से लाई गई हैं।
'कंबाला' को हिंदी में 'बैलों की दौड़ या बैलगाड़ी की दौड़' कहते हैं। इसमें कीचड़ भरे मैदान में भैंस दौड़ती हैं।
यह आयोजन सभी के लिए खुला है और निः शुल्क है। उम्मीद की जा रही है कि इस आयोजन में 2 से 3 लाख आगंतुक आएंगे।
कंबाला प्रतियोजना 700 से अधिक वर्ष पुरानी विरासत है। 155 मीटर लंबे दो रेस ट्रैकों को राजा और महाराजा नाम दिया गया है।